दिल्ली
खबरों के मुताबिक भाजपा (BJP) ने कैसरगंज से वर्तमान सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan singh) के बेटे करण सिंह को उतारने का प्रस्ताव ब्रजभूषण के पास भेजा है। बताया जा रहा है कि ब्रजभूषण ने भी बेटे के नाम पर सहमति दे दी है और जल्द ही उनके नाम की घोषणा हो सकती है।ब्रजभूषण शरण सिंह 2009 से लगातार कैसरगंज से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस सीट पर उनकी काफी अच्छी पकड़ है, आसानी से उन्हें हराया नहीं जा सकता है ऐसे में पार्टी उनका टिकट काटकर जोखिम नहीं उठाना चाहती है इसलिए पार्टी ने उनके स्थान पर बेटे को टिकट देने का प्रस्ताव दिया है।
पिछले साल महिला रेसलर्स ने उनके ऊपर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए आंदोलन किया था, जिसमें साक्षी मलिक (Sakshi Malik) और बबिता फोगाट (Babita Phogaat)जैसी दिग्गज भारतीय रेसलर्स शामिल थी।उनके ऊपर नाबालिक लड़कियों को छेड़ने का भी आरोप लगा था लेकिन बाद में नाबालिक लड़की ने अपना केश वापस ले लिय़ा था लेकिन आज भी उनके ऊपर छेड़खानी के कई मामले चल रहे हैं। ऐसे में उन्हें टिकट देने पर पार्टी की भद पिट सकती है और विपक्ष उन्हें निशाने पर भी लेगा इसलिए पार्टी ने बीच का रास्ता निकालकर उनके बेटे को टिकट देने का निर्णय लिया है।
जिस वक्त ब्रजभूषण शरण सिंह पर दुराचार के आरोप लगे थे उस समय वह कुश्ती संघ के अध्यक्ष थे उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद जब दोबारा चुनाव हुए थे तो उनके ही एक साथी चुनाव जीत गए थे। चुनाव जीतने के बाद ब्रजभूषण शरण सिंह के समर्थकों ने नारा लगाना शुरू कर दिया था कि दब-दबा था, है, और रहेगा। जिसके बाद वह पुनः एकबार निशाने पर आ गए थे। इस बीच साक्षी मलिक ने मीडिया के सामने आकर रो- दिया था जिसके चलते लोग भावनात्मक तौर पर उन खिलाड़ियों के साथ जुड़ने लगे थे। सरकार ने खुद को निशाने पर आता देख कुश्ती संघ को निरस्त कर दिया था। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि शायद भाजपा चुनाव में उनका टिकट भी काट देगी। हालांकि ऐसी खबरें थीं कि यदि भाजपा उनका टिकट काटेगी तो समाजवादी पार्टी उन्हें टिकट देगी। कई बार वह इशारों-इशारों में बता भी चुके थे कि उनके रास्ते समाजवादी पार्टी के लिए खुले हैं और वह पूरी तरह से धर्मनिर्पेक्ष हैं।
आज जब उनके बेटे को टिकट देने की चर्चा शुरू हुई तो लोगों ने भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों पर निशाना साधना शुरू कर दिया…….
समाजवादी पार्टी के एक समर्थक ने कहा कि ब्रजभूषण और उनके बेटे में कोई अंतर नहीं है।
जिसके जबाब में एक यूजर ने कहा कि इंतजार तो आप भी कर रहे थे कि उनका टिकट कटे और आप अपनी पार्टी से टिकट दें।
आखिर क्या है कैसरगंज सीट का इतिहास
1989 से पहले इस सीट पर कभी कांग्रेस तो कभी जनता पार्टी जीतती थी लेकिन उसके बाद से यह सीट कभी भाजपा तो कभी सपा के पास रही रही है। साल 1989 में भाजपा के रूद्रसेन चौधरी जीते थे तो वहीं साल 1991 में लक्ष्मीनारायण मणि त्रिपाठी जीते थे। उसके बाद से फिर 1996 से 2009 तक समाजवादी पार्टी के बेनी प्रसाद वर्मा यहां से सांसद रहे थे। 2009 से लेकर लगातार तीन बार ब्रजभूषण शरण सिंह यहां से चुनाव जीत चुके हैं।