न्हावा खाड़ी के पास तैयार किए गए अनाधिकृत रामबाग के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता वैभव म्हात्रे ने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जिस जगह पर रामबाग तैयार किया गया है। वह पूरी जगह सिडको के अंतर्गत आती है तो फिर उस जगह पर कोई निजी व्यक्ति उद्यान कैसे तैयार कर सकता है। वहां पर क्रांक्रीट की दीवारें और फाउन्टेल खड़ा कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इसे पनवेल के एक बड़े नेता ने सिडको के अधिकारियों की मिलीभगत से इसे तैयार किया है ताकि इसका उपयोग व्यावसायिक गतिविधिंयों के लिए किया जा सके। Builder will use Rambagh for his business goals)
सिडको ने जारी किया था नोटिस (CIDCO had sent the notice)
याचिकाकर्ता वैभव म्हात्रे (Petitioner Vaibhav Mhatre) ने बताया कि मेरी जानकारी में आने के बाद मैंने इस जमीन का मालिकाना हक रखने वाली नोडल एजेंसी सिडको से शिकायत की थी। उस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सिडको ने रामबाग बनाने वाले व्यक्ति को नोटिस जारी किया था और 24 घंटे के अंदर पूरी जगह खाली करने का आदेश दिया गया था। सिडको ने अपनी नोटिस में कहा था कि वहां पर तैयार पूरे स्ट्रक्चर को तोड़ा जाए और उस जमीन को पहले की तरह खाली कर दिया जाए। यदि आपने उसे खाली नहीं किया तो सिडको प्रशासन को यह अधिकार है कि वह उसे अपने तरीके से खाली करवाए । सिडको ने उन्हें महाराष्ट नगर रचना अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की भी धमकी दी थी । उसके बावजूद रामबाग तैयार करने वाले ने उसे वहां से नहीं हटाया और रामबाग अभी भी वहां पर मौजूद है। जब वैभव म्हात्रे ने सिडको से इसका जवाब मांगा तो उनकी तरफ से कोई स्पष्ट जवाब भी नहीं दिया गया।
जमीन खाली करने के लिए सिडको को दें आदेश (CIDCO should Evacuate the Rambagh land)
जिसके बाद उन्होंने अपने वकील से सलाह लेकर हाईकोर्ट में रामबाग के खिलाफ रिट पिटीशन दायर कर उस जगह को जल्द से जल्द खाली करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि सिडको प्रशासन अपनी जगह खाली करवाने में असफल रहा है और उसकी तरफ से जगह खाली करवाने के लिए कोई कदम भी नहीं उठाया जा रहा है ऐसे में कोर्ट उसे आदेश दे कि वह सरकारी जमीन को जल्द से जल्द खाली करवाए। कोर्ट ने वैभव म्हात्रे की याचिका को स्वीकार कर लिया है और जल्द ही उस पर आगे की सुनवाई होगी।