पिछले कुछ दिनों से देखने को मिल रहा है कि आज तक चैनल के ऐंकर भाजपा के खिलाफ और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाते दिख रहे हैं। इससे सामान्य दर्शकों को लग रहा है कि यूं ही थोड़ी निष्पक्षता दिखाने के लिए वे लोग ऐसा कर रहे हैं। वहीं भाजपा के विरोधी कह रहे हैं कि चूंकि पहले चरण में मतदान कम हुआ था और उन्हें ऐसा लग रहा था कि शायद इस बार बीजेपी चुनाव हार रही है इसलिए आजतक के ऐंकरों ने भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया था।
आज तक का इंग्लिश चैनल इंडिया टूडे तो पिछले दो दिनों से पूरी तरह से अमेठी और रायबरेली पर फोकस है और उसने अपनी तरफ से कांग्रेस के लिए माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इन सभी खबरों को देखकर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यह माजरा क्या है अचानक आजतक ने इस तरह से भाजपा को निशाने पर लेना क्यों शुरू कर दिया है। क्या सच में भाजपा की स्थिति इस चुनाव में कमजोर हो गई है अथवा इसके पीछे कोई दूसरा काऱण भी है जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
यदि आप लोकसभा का चुनाव 2014 से कवर कर रहे हैं तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा ने टीवी चैनलों पर भर-भरकर खर्च किए थे। जिस भी चैनल को चालू करते थे वहां पर भाजपा का प्रचार दिखता था लेकिन इस चुनाव में भाजपा ने अपना बजट टीवी चैनलों के लिए कम कर दिया है और वह उसने गूगल पर खर्च करना शुरू कर दिया है। इसलिए आपको गूगल और यू-ट्य़ूब पर भाजपा के ऐड ज्यादा नजर आएंगे और चैनलों पर काफी कम नजर आ रहे हैं। उसकी तुलना में कांग्रेस के विज्ञापन आपको चैनलों पर भर-भरकर दिख रहे होंगे।
टीवी चैनल चलते हैं विज्ञापनों के आधार पर और यदि उनके विज्ञापन ही कम कर दिए जाएंगे तो वह कैसे चलेंगे। आज तक इसके पहले सभी विज्ञापनों का रेट खुद तय करता था लेकिन इसबार भाजपा ने सभी चैनलों को बराबर पैसा भेजा है। जिससे आजतक के मालिक नाराज हैं। उनका कहना है कि आप बाकी चैनलों से मेरी तुलना कैसे कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ हर बार नरेंद्र मोदी सबसे पहले आजतक को अपना साक्षात्कार देते थे लेकिन इसबार चौथे चरण का चुनाव खत्म होने को है और अब तक मोदी ने आज तक को साक्षात्कार नहीं दिया है। इसलिए भी आजतक के लोग उनसे खफा हैं। इसका चुनाव के नतीजों से कुछ मतलब नहीं है और न गोदी मीडिया के पत्रकार ईमानदार हो गए हैं। यह पूरी तरह से व्यवसाय का मामला है।