नई दिल्ली
पुरूषोत्तम कनौजिया
चुनावी रणनीतिकार रहे जन स्वराज के नेता प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाओं के बीच कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बिन मांगी सलाह दी है। एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि राहुल गांधी को कुछ दिनों के लिए कांग्रेस पार्टी से दूर हो जाना चाहिए। पिछले दस वर्षों से राहुल गांधी कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। ऐसे में उन्हें खुद को राजनीति से दूर कर लेना चाहिए ताकि दूसरे लोगों को मौका मिले और वे लोग भाजपा को चुनौती दे सकें। उन्होंने कहा कि आपने इतना प्रयास किया लेकिन आपको सफलता नहीं मिली तो अब खुदको पार्टी की गतिविधियों से अलग कर लेना चाहिए।
2019 चुनाव हारने के बाद राहुल ने छोड़ दिया था अध्यक्ष का पद (Rahul Gandhi shut step Down from Politics)
2019 का लोकसभा चुनाव राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ा गया था और उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सफलता नहीं मिली थी। जिसके बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और काफी लंबे समय तक सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष बनी रही थी। इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि 2019 में उन्होंने अध्यक्ष पद से तो इस्तीफा दे दिया था लेकिन पार्टी के फैसलों में उनकी दखअंदाजी रहती है। प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टी के स्ट्रक्चर में ही दिक्कत है इसलिए छोटे-मोटे सुधार करके आप पार्टी की हालत नहीं सुधार सकते। इसके लिए आपको पीछे जाना होगा और किसी नए व्यक्ति को मौका देना होगा जो राजनीति में परिवर्तन ला सके।
क्या अलग हैं 2014 से 2024 के मुद्दे ( 2024 Election is different than 2014
दरअसल साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी महंगाई, भ्रष्टाचार, रूपए का गिरता मूल्य और बेरोजगारी के मुद्दे पर चुनाव लड़ी थी। जिसके चलते उसे लोगों का भारी सहयोग मिला था और वह चुनाव जीतकर सरकार बनाने में सफल हो गई थी। आज दस वर्षों के पश्चात देश में फिर एकबार महंगाई अपने चरम पर है, डॉलर के मुकाबले रूपया अपने सबसे निचले स्तर पर है, बेरोजगारी का आलम ये है कि सरकार के अपने आकड़े बता रहे हैं कि देश में 8 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं जबकि 40 प्रतिशत पढ़े लिखे युवाओं को उनकी पसंद का काम नहीं मिल रहा है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि आईआईटी मुंबई के 35 प्रतिशत बच्चों को रोजगार नहीं मिला है। इन सब मुद्दों के बावजूद देश की जनता विपक्ष को वोट देना नहीं चाह रही है। लोगों का कहना है कि राहुल गांधी से तो मोदी ही ठीक है। लोग मोदी से नाराज तो हैं लेकिन उनके पास कोई बेहतर विकल्प ही नहीं बचा है तो वे किसे मतदान करें?