क्या हैट्रिक मार पाएंगे राजन विचारे
नवी मुंबई
इस बार महाराष्ट्र में ठाणे लोकसभा सीट पर लोगों की नजर सबसे ज्यादा रहने वाली है इसका मुख्य कारण ये है कि इस सीट पर दो पुराने शिवसैनिकों की लड़ाई होने वाली है। उसमें कौन बाजी मारेगा यह देखने लायक होगा। एक के ऊपर गद्दार होने का ठप्पा लग चुका है तो दूसरा खुद को ठाकरे परिवार का निष्ठावान कार्यकर्ता बताता है। उद्धव ठाकरे ने भी उसे ठाणे लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। एकनाथ शिंदे ने अभी तक किसी को उम्मीदवार नहीं बनाया है। हालांकि लोगों का कहना है कि एकनाथ शिंदे उम्मीदवार किसी भी व्यक्ति को बना दें लेकिन लड़ाई तो उनको ही लड़नी है क्योंकि यह उनका होम ग्राउंड है और यहां की जीत उनकी आगे की राजनीति तय करेगी। यदि गलती से भी यह सीट एकनाथ शिंदे की पार्टी हार जाती है तो विधानसभा चुनवों पर इसका काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा।
वर्तमान में ठाणे लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें हैं जिसमे से 4 पर भाजपा के विधायक हैं तो दो पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवेसना के विधायक हैं। उसमें भी एक सीट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शामिल हैं। बाहरी तौर पर देखा जाए तो एकनाथ शिंदे को बढ़त है लेकिन अंतिम परिणाम इस बात पर निर्भर करेंगे कि मतदाताओं तक अपने मुद्दे कौन अच्छी तरह से पहुंचा पाया और किसने चुनावों का प्रबंधन ठीक से किया। भाजपा का साथ मिलने के बाद एकनाथ शिंदे को चुनाव प्रबंधन के बारे में ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं है। सत्ता हाथ में होने के कारण उनकी योजनांएं लोगों तक पहले ही पहुंच चुकी हैं। अब राजन विचारे की जिम्मेदारी है कि उन्होंने सांसद के नाते जो काम किए हैं वह लोगों तक पहुंचाएं।
अंदरूनी कलह का राजन को मिलेगा फायदा…..
यह सीट एकनाथ शिंदे के पास जाने से भाजपा के लोगों का उत्साह कम होता दिख रहा है, एकनाथ शिंदे के साथ जितने भी शिवसैनिक जुड़े हैं वे सभी व्यापारी वर्ग से तालुक रखते हैं उनका कहीं न कहीं कुछ फायदा जरूर था तभी वो एकनाथ शिंदे के साथ आए थे। तो उनमें उतना उत्साह नजर नहीं आ रहा है जितना राजन विचारे के कार्यकर्ताओं में दिख रहा है। राजन विचारे के कार्यकर्ता दिनरात एक कर उन्हें जिताने के लिए तैयार दिख रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर नवी मुंबई और ठाणे की गलियों में होने वाली चर्चाओं में राजन विचारे के कार्यकर्ता बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और एकनाथ शिंदे को हराने की कसमें खा रहे हैं । वहीं भले ही भाजपा के पास चार विधायक हैं लेकिन उनमे भी एकता की कमी है नवी मुंबई में भाजपा के पास दो विधायक हैं दोनों की आपस में कभी नहीं बनती है जिसका फायदा भी राजन विचारे को हो सकता है।
राजन विचारे को खलेगी काडर की कमी
हालांकि राजन विचारे के पास प्रत्येक शाखा में गिन-चुनकर 5 से 10 कार्यकर्ता ही बचे हैं ऐसे में इतने कम कार्यकर्ता उनकी कितनी मदद कर पाएंगें? यही सबसे बड़ा सवाल हैं। वहीं एकनाथ शिंदे के साथ न केवल उनके बल्कि भाजपा के कार्यकर्ताओं का साथ मिलेगा। मनसे के साथ आने से ताकत और भी ज्यादा बढ़ जाएगी। केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थी भी जुड़ जाएंगे और हिंदुत्व का तड़का इस चुनवा में लग ही रहा है। हालांकि इस बार लोगों में चुनाव के प्रति उत्साह नहीं दिख रहा है इसका फायदा भी एकनाथ शिंदे को मिल सकता है क्योंकि उनके समर्थक ही इतने ज्यादा हैं कि वे कमसे कम इतने लोगों को मतदान केंद्रों तक पहुंचा देंगे कि उनकी जीत सुनिश्चित हो जाए। इसलिए राजन विचारे की हैट्रिक को लेकर लोगों के मन में काफी आशंकाए हैं।