नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पिछले तीन दिनों से लगातार कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र पर निशाना साध रहे हैं। साथ ही वह राहुल गांधी के उस बयान का जिक्र भी कर रहे हैं जो बयान उन्होंने तेलंगाना (Telangana) में अपना घोषणापत्र जारी करते हुए दिया था। राहुल गांधी (Rahul Gandhi statement) ने कहा था कि उनकी सरकार आने के बाद आर्थिक सर्वे करवाया जाएगा और पता किया जाएगा कि किस वर्ग के पास कितनी संपत्ति है और उसके बाद उस संपत्ति को दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों में वितरित कर दिया जाएगा। राहुल गांधी के इस बयान को नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Former Prime minister Manmohan Singh) के उस बयान से जोड़ दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। हालांकि कांग्रेस के घोषणापत्र में कहीं पर भी संपत्ति के वितरण का जिक्र नहीं है लेकिन सामाजिक न्याय विभाग के बिंदु क्रमांक 7 में भूमि वितरण (Land Distribution law In congress Manifesto) का जिक्र किया गया है कि भूमिहीन लोगों को भूमि वितरित की जाएगी।
वहीं कुछ लोगों का दावा है कि मनमोहन सिंह ने कभी ऐसा बयान दिया ही नहीं लेकिन अब मनमोहन सिंह का वह बयान वायरल हो रहा है जिसे उन्होंने दिल्ली के विज्ञान भवन में दिया था। जिसमें वह अंग्रेजी में साफ-साफ कहते दिख रहे हैं कि अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के विकास के लिए उनकी सरकार कदम उठाएगी। उसके बाद वह कहते हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। कई लोगों का कहना है कि कांग्रेस ने न केवल अपने कार्यकाल में इस तरह के बयान दिए थे बल्कि मुसलमानों को एससी-एसटी के आरक्षण का कुछ हिस्सा मुसलामानों को देने की कोशिश भी की थी लेकिन उस वक्त कोर्ट ने सरकार के उस कदम पर रोक लगा दी थी जिसके चलते कांग्रेस मुसलमानों को दलितों का आरक्षण नहीं दिला पाई थी।
Photo credit – Dilip Mandal ( Famous Journalist)
चूंकि उनका बयान अंग्रेजी में दिया गया था और अनुवाद का नियम है कि शब्दशः अनुवाद अच्छा नहीं होता है इसलिए उसका भावार्थ निकालना चाहिए इसलिए सभी लोग इस बयान का अपने- अपने तरीके से उसका अर्थ निकाल रहे हैं।
काग्रेस के घोषणा पत्र (congress Manifesto)
के अल्पसंख्यक विभाग में बिंदु क्रमांक 7 में जिक्र किया गया है कि कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि देश में प्रत्येक नागरिक की तरह अल्पसंख्यकों को भी पोशाक, खानपान-भाषा और व्यक्तिगत कानूनों की स्वतंत्रता हो। यहां पर अल्पसंख्यकों का मतलब सिर्फ मुसलमान और क्रिश्चन्स से है क्योंकि बाकी के सभी धर्म 1956 में बनाए गए भारतीय कानून के तहत ही चलते हैं ऐसे में इसका अर्थ निकाला जा रहा है कि कांग्रेस मुसलमानों को उनके कानून के मुताबिक काम करने की अनुमति दे देगी। अर्थात तीन- तलाक कानून रद्द हो सकता है। रही बात पोशाक की तो जब विद्यालयों में सबके लिए ड्रेस कोड होता है तो फिर सरकार किसी एक वर्ग को उसके हिसाब से कपड़े पहनने की आजादी कैसे दे सकती है। कल को जैन बोलने लगें कि हम तो दिगंबर हैं और बिना कपड़ों के ही विद्यालय जाएंगे तब क्या कांग्रेस का रूख यही रहेगा। भाषा तो क्षेत्र के आधार पर निश्चित की जाती है जैसे पंजाब में पंजाबी, तमिलनाडु में तमिल और महाराष्ट्र में मराठी ऐसे में यदि सरकार धर्म के आधार पर भाषा को बढ़ावा देगी तो क्या वह पूरे देश में उर्दू को बढ़ावा देगी।